Our Journey
…और कारवां बनता गया
यदि साफ नीयत और कठिन परिश्रम के साथ कोई कार्य किया जाए तो उसे सफल होने से कोई रोक नहीं
सकता। इसी विश्वास, प्रयास और विकास की साझी विरासत का नाम है वयम् वरेण्यम् फाउंडेशन। इसकी यात्रा बहुत
ही दिलचस्प और उम्मीद भरी है। हम सभी जानते थे कि समाज के सशक्तिकरण के लिए, उसके उत्थान के लिए
सहमना लोगों को एक मंच पर, एक धरातल पर एकत्रित करना पहली शर्त है। हम लोग जानते थे कि असंख्य
मोतियों को स्नेह और विश्वास के धागे में पिरोकर ही विजय की वैजयंती को आकार दिया जा सकता है।…और स्नेह के
लिए मिलन आवश्यक है। मिलन के लिए साझा धरातल जरूरी है। तो इस अपरिहार्य आवश्यकता की पूर्ति के लिए
वर्ष 2016 में एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से लोगों को जोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ।
एक विराट लक्ष्य की तरफ बढ़ा यह एक छोटा सा कदम था। लेकिन मन में अभूतपूर्व विश्वास था कि आज
भले ही यह शुरुआत छोटी लग रही हो किंतु आने वाले समय में भगवान वामन की भांति यह मात्र तीन पग में समूची
दुनिया माप लेने का सामर्थ्य अर्जित कर लेगी। इतिहास गवाह है कि संगठन ऐसे ही आकार लेते हैं। अब व्हाट्सएप
समूह रूपी ‘रामसेतु’ तो बन चुका था। भावना, विचार, समाचार के सक्रिय आदान-प्रदान के साथ यह समूह अपने
समाज में लोकप्रिय व आकर्षण का केंद्र भी बन रहा था। इस काल खंड में हम सभी अपने लक्ष्य के प्रति वैचारिक रूप
से और अधिक परिपक्व हो रहे थे, अपने संकल्प की सिद्धि के लिए हम लोगों की समझ और बेहतर ढंग से विकसित हो
रही थी। कल्याण, उत्थान, सम्मान के प्रखर विचार के साथ सधे हुए कदमों से हम मंथर गति से, किंतु सही दिशा में
आगे बढ़ रहे थे। लेकिन बिना परीक्षा के परीक्षाफल कहाँ मिलता है। व्यक्ति या संगठन को कसौटी पर बिना कसे भला
समाज ने कब सम्मान दिया है!
अभी अपनी यात्रा रफ्तार पकड़ ही रही थी कि विश्व को कोरोना नाम की महामारी ने घेर लिया। दुनिया
थम सी गई। यह समय दुनिया, समाज, मानवता के साथ-साथ अपने संगठन के लिए भी परीक्षा का काल था।
लॉकडाउन का समय। बीमारी का भय। रोजगार का संकट। भूख-प्यास से जूझते परिवार। यहां से अपने ग्रुप द्वारा
संगठित स्वरूप में सामाजिक उत्तर दायित्वों को पूरा करने की दिशा में गतिविधियां शुरू हुईं। सभी के सहयोग से
मार्च 2020 में कम्युनिटी किचन का आरंभ हुआ। हर दिन 400-500 लोगों के लिए भोजन बनने लगा और
जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाने लगा। भोजन के माध्यम से आम लोगों के दुखों का साझी बनने, उनकी समस्याओं का
समाधान बनने की इंसानियत भरी कवायद लगभग चार महीने चली। पलायन करने वालों की मदद, आर्थिक रूप से
कमजोर हो गए लोगों के लिए भी ग्रुप ने हाथ बढ़ाया। समूह की संवेदनशीलता, सामाजिक कर्तव्यों के प्रति
दायित्वबोध समाज में विमर्श का विषय बनने लगा था। लोग आशा, आशीर्वाद और विश्वास के साथ हमारी ओर
देखने लगे थे। सामाजिक जीवन के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी।
इसी तरह कोविड की दूसरी लहर भी आई तो ग्रुप दोगुनी ताकत से मानवता के साथ खड़ा रहा। सात
सिलेंडर की व्यवस्था कर बीमार लोगों तक मदद पहुंचाने का प्रयास हुआ। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, वाईपैप मशीन, आदि
लोगों के सहयोग से खरीदी गईं। यह दुखद समय भी बीता। ग्रुप के सदस्यों का आपसी समन्वय, प्रेम और स्नेह और
अधिक मजबूत हुआ। हालात सुधरते गए। रोजगार-व्यापार और जीवन धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा। इसके बाद हम
सभी को पहली बार भौतिक रूप से एक दूसरे से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हम सभी साथियों/भाइयों के प्रथम
स्नेह मिलन का माध्यम बना अपना शौर्य महोत्सव। अगस्त 2022 में आयोजित इस महोत्सव में ग्रुप के सम्मानित
सदस्यों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। यह हमारा वार्षिक कार्यक्रम बना और प्रत्येक वर्ष इसे आयोजित करने पर
सहमित बनी।
समाज हित के संकल्पों में दो अनाथ बच्चों का पालन-पोषण शुरू हुआ। जो सार्थक व प्रेरणादायी रहा। वयम्
उन्हें शिक्षित व स्वावलंबी बनाने की ओर अग्रसर हैं। एक अन्य परिवार के सिर से असमय पिता का साया उठने के
बाद बच्चों की शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता दी गई। सदस्यों ने मासिक खर्च का भी जिम्मा उठाया। आर्थिक तंगी
झेल रहीं काशी के एक परिवार की बेटियों को शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता दी गई। हाल ही में वाराणसी की ही
एक बिटिया के साथ अभद्र व्यवहार होने पर वयम् परिवार मजबूती के साथ बिटिया के पीछे खड़ा रहा। उसे आर्थिक
सहायता भी दी जा रही है। वयम् अपने उद्देश्यों और कर्तव्यों को लेकर सजग है। ऐसे प्रयास जारी रहेंगे।
ग्रुप की गतिविधियों को संस्थागत स्वरूप दिए जाने के विचार को आगे बढ़ाया गया। तय हुआ कि एक
निर्धारित स्थान हो जहां सदस्य कभी भी मिल सकें। चर्चा कर सकें। दिसम्बर 2022 में वर्तमान शौर्य क्लब चित्रकूट
हॉल की नींव पड़ी। स्थान चिह्नित हुआ और बैठक हुई। सबने समर्थन दिया। सबके सहयोग से मार्च 2023 में शौर्य
क्लब अपने स्वरूप में आ गया। कालान्तर में देवीपाटन अतिथि गृह बना। आज वह इस वयम् वरेण्यम् फाउंडेशन का
ऊर्जा केंद्र है।
मई 2023 में वयम् वरेण्यम् फाउंडेशन अधिकारिक रूप से अस्तित्व में आया। सभी आवश्यक
औपचारिकताओं के बाद एक व्हाट्सएप ग्रुप एक संस्थागत संगठन के रूप में सबके सामने है। जो समाज के हित सतत
प्रयासरत है।
उर्दू में एक शेर है कि:-
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
कुछ इसी तरह चंद लोगों के साथ शुरू हुई अपनी यात्रा ने आज विराट स्वरूप ले लिया है। हमारा परिवार हर दिन
बड़ा हो रहा है। परिवार के कोष में आत्मीयता और विश्वास की पूंजी दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है। विस्तार की
संभावनाएं भी अनंत हैं। क्योंकि आप सभी सामूहिक शक्ति भी अपरिमित है। मुझे तो पावन रामचरितमानस का का
ध्यान आ रहा है, जिसमें सिर्फ एक ही हनुमान थे। मैं स्वयं को अति भाग्यशाली मानता हूँ कि हमारे बीच अनेक
संकटमोचक, अनेक जामवंत, अनेक भरत और अनेक लक्ष्मण हैं। हमारी शक्ति अजेय है। हमारा सामर्थ्य अथाह है।
हमारा संकल्प अतुल्य है।
हम उन प्रतापी पूर्वजों के वंशज हैं जिन्होंने भगवान को भी अपनी कसम तोड़कर शस्त्र उठाने के लिए विवश
कर दिया था। हम मनुष्यता के सूरज हैं। हम जब-जब संगठित हुए तब-तब दुनिया का आसमान केसरिया हुआ।
सनातन को गौरव मिला। मानवता संरक्षित हुई। सभ्यता व संस्कृति पुष्पित और पल्वित हुईं। प्राचीन भारत से लेकर
आधुनिक विश्व तक त्याग, बलिदान, साहस, शौर्य और पराक्रम की परिभाषाओं को हमारे संदर्भों से परिभाषित करता
है।
किंतु जब-जब हम बिखरे समाज का पतन हुआ। इसी बिखराव का कुफल है कि दुनिया को सहारा देने वाले
को आज स्वयं सहारे की जरूरत है। किंतु हम सभी एक दूसरे का सहारा हैं। हमारे सुख-दुःख साझे हैं। हमारे पूर्वज,
हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार एक ही हैं। हमारा एक देश, एक धर्म, एक परचम, एक विधान है। हममें अलगाव का
कोई महत्वपूर्ण कारण नज़र नहीं आता। यही बात समाज के हर व्यक्ति तक ले जाना हम सभी का दायित्व है। यही
विचार हमारी एकता और अखंडता का आधार है।
आपके वयम् वरेण्यम् फाउंडेशन ने अभी कुछ कदम ही चले हैं और परिवर्तन दिखने लगा है। यह है हमारी
साझी शक्ति की हैसियत। इसको हर दिन बढ़ाना है। ये परिणाम ही आश्वस्त कर रहे हैं कि अपने संकल्प की सिद्धि की
यात्रा को दिन दोगुनी रात चौगुनी रफ्तार मिलेगी।
अभी तो असली मंजिल पाना बाकी है,
अभी तो इरादों का इम्तिहान बाकी है,
अभी तो तोली है मुट्ठी भर जमीन हमने,
अभी तोलना सारा आसमान बाकी है…
आप सभी वयम् वरेण्यम् फाउंडेशन की अविराम यात्रा के सारथी हैं। आपके मार्गदर्शन, नेतृत्व और प्रेरणा से यह यात्रा
ऐसे ही चलती रहे। यही कामना है।
जय हिंद-जय भारत-जय भवानी